"उन्होंने हमसे पूछा आज कल तुम दिखते नहीं, हमने भी कहा जब से आप ज़ुल्फे बांधने लगी है, तब से हवाओं ने रुख बदल लिया है।"
"उन्होंने हमसे पूछा आज कल तुम दिखते नहीं, हमने भी कहा जब से आप ज़ुल्फे बांधने लगी है, तब से हवाओं ने रुख बदल लिया है।"
"वो मुझे हमेशा याद करती होगी, ये बात मैं भूल नहीं पाता हूँ।"
"अकसर ख़ामोशी सच्चाई बयां करती है।"
New Daily Quotes
"बस एक वही मेरी ठहराव थी, मेरी ज़िंदगी के भाग दौर में।"
"वो मेरी दरिया है, और मैं उसका नाविक हूँ। "
"ख़ामोशी में तुझे सुनने लगे है, लगता है हम तेरे करीब आने लगे है।"
"मेरी दुआ तभी मुकम्मल होती है, जब वो मुस्कुराती है।"
"तेरे साथ गम भी अपना लगता है, तेरे बिना ख़ुशी भी पराई लगती है।"
"ना जाने क्यू आज तुम बादलों की तरह मेरे दिलों दिमांग पर छाए रहते हो।"
"मैं जिस्म में लिपटने वालों में से नहीं, मैं रूह से लिपटने वालों में से हूँ।"
"तुम्हारे लफ्ज़ ऐसे चूभे है हम में, मानों जैसे किसी ने खंजर मार दी हो।"
"हम किसी और से क्या मिलेंगे, हम खुद से बिछड़े हुए है।"
"ज़िंदगी ही नहीं रात भी तनहा लगने लगी है तुम्हारे बिना।"
"जो सही फैसला लेता है, वो अकसर अकेला ही नजर आता है।"
"किसी के बारे में कुछ भी मत सोचो, पहले उसे समझने की कोशिश करो।"
बड़ा मजबूर था रिश्ता हमारा, बड़ी आसानी से टूट गया।
मैं ज़िंदा था मुझे किसी ने नहीं चाहा, मेरे मरने पर सब रोने आए थे।
मैं झुक गया था हर बार जब भी मेरे अपनो कि बात आई।
टूट चुका था मैं क्यों की इस बार भी मैने आस तुमसे रख ली थी।
मैं जान नहीं लूँगा बस आपका हाल पूछ के चला जाउन्गा।
"वो मेरी पतंग थी और मैं उसका डोर। जब पतंग ही किसी और के छत पर गिर गई, तो डोर तो अब खुद में उलझ ही जाएगी।"
"तुम गलत भी करोगे, तो उसे सही बना लूंगा। तुम अगर मुझ से रूठोगे, तो में तुम्हे मना लूंगा।"
"कुछ लोग अपने हिसाब औरों को भी सोच लेते है।"
"कुछ कमी रह गई लगता है, इस बार ठीक से मतलबी बन कर आऊंगा।"
"मैं सताये हुए इंसान में से हूँ, मुझ पर अब कोई भी बात बेअसर होती है।"
"इज़्ज़त से हम अमीर है, पैसा तो हम ऐसे बेच कर भी कमा सकते है।"
"अपने आप के साथ भीग रहा हूँ, इस बेमौसम के बारिश में।"
"कहते है मेरी दिमागी हालत ठीक नहीं है आजकल, क्यू की मैं तुम्हारे बिना ही तुम से बात करता हूँ आजकल।"
"हर पल तुम्हारी याद आती है, किसी पल तुम भी आओ। "
"मुहब्बत अधूरी ज्यादा मुकम्मल लगती है। "
ज़िन्दगी बहुत सताती है, मुझे हर बार मुझे रुला के चली जाती है।
रिश्तों को सम्हाल के रखना, वरना इनके टूट जाने पर दुख बहुत होगा।
मैं कमजोर बहुत हूँ, जब भी गुस्सा आता है, रो देता हूँ।
बहुत दूर जाना है मुझे तुझसे, तेरे नज़दीक् आने में मुझे दुख बहुत होता है।
नाराज़गी बहुत है तुमसे, मगर नफ़रत की बात नहीं है, इसमें बस दुख बहुत है।