
"अक्सर अपनो की ख़ुशी के चलते, लोग ख्वाबों की खुद ख़ुशी कर देते है I"
"अक्सर अपनो की ख़ुशी के चलते, लोग ख्वाबों की खुद ख़ुशी कर देते है I"
"जिसने भी मेरी किस्मत लिखी है अधूरी लिखी है, आजकल उसी को पूरा करने में लगा हुआ हूँ II"
"इस दुनिया में खुद की मर्ज़ी से भी जीने के लिए, पता नहीं कितनों को अर्ज़ी देनी पड़ती है II"
New Daily Quotes
"गिरे हुए पैसों को तो सब उठाते है, पता नहीं ये लोग अपना ईमान कब उठाएंगे II"
"खेलने की उम्र में, मैंने काम करना सीख लिया I लगता है ज़िंदगी जीने का हुनर सीख गया II "
"ज़िंदगी भी किताब सी होती है, सब कुछ कह देती है खामोश रह के भी II"
"आजकल मैं ज़िंदगी के बताये रास्तों पर चल रहा हूँ I"
"कुछ तो आरज़ू रख, थोड़ा हौसला रख, ज़िंदगी जीने का अपना तरीका रख II"
"सोचता हूँ मेहनत की कलम से, ज़िंदगी की कहानी फिर से लिखूं II"
"जो अपने आप को सरल रखता है, वही सर्वोत्तम होता है II"
"आपकी पसंद ही आपकी मंज़िल तय करती है II"
"बुरे समय में सही शख्स मिलना बहुत मुश्किल होता है I"
"चमत्कार तभी होगा जब आप 'आप' होते है I"
"किसी से भीख मांग लेना, पर इंसान से मुहब्बत नहीं II"
"एक हादसा जरूर चाहिए ज़िंदगी में, सिर्फ बातों से आज तक कोई नहीं सीखा है II"
"इंसान सबसे ज्यादा ज़लील अपनी पसंद के लोगों के साथ ही होता है II"
"किसी को समझो या ना समझो, पर किसी को गलत मत समझो I"
"ज़्यादा अच्छा इंसान ज़्यादा इस्तेमाल होता है यहाँ II"
"ज़िंदगी में कुछ भी एकतरफा नहीं होता।"
"ज़िंदगी इतना भी मत सीखा, अब थोड़ा साथ भी दे दे II"
"इस दुनिया में अगर इरादे साफ़ है, तो समझ लो की खिलाफ है।"
"इस दुनिया में सब खुश रहने के लिए सब परेशान रहते है II"
"ज़िंदगी में कुछ खत्म होना ज़रूरी होता है, कुछ नया शुरू करने के लिए II"
"जीवन हमेशा उम्मीदों के विपरीत खेलता है।"
"ये दुनिया अपनी ही दीवानी है, इस ज़िंदगी की इतनी सी कहानी है।"
"ज़िंदगी अपनी, ख्वाब अपनी, उसे पूरा करना उसकी ज़िम्मेदारी अपनी।"
"नज़र अपनी मिली है, तो नज़रिया किसी और का क्यों रखें।"
"दरबदर भटक रहे है, कुछ यूँ अपनी ज़िंदगी को ढूंढ रहे है।"
"ज़िंदगी का पता वही बता सकता है, जिसने ज़िंदगी जी हो, ना की गुज़ारी हो।"
"ज़िंदगी से मेरा एक तरफा इश्क़ चल रहा है, पता नहीं और कितना वक़्त लगेगा साथ आने में।"
तू ना सही पर तेरी यादें तो होनी चाहिए, तेरे इस शहर में, हम गरीबों के लिए भी थोड़ी जगह तो होनी चाहिए।
कुछ यूँ अपने आप से मिलने का तरीका ढूंढ रहे है। इस ज़िंदगी से दूर जाने का बहाना ढूंढ रहे है।
ज़िंदगी से शर्त बस इतनी सी है की, कोई शर्त ना हो।
आज की दुनिया में मासूमियत को बेवकूफी समजी जाती है।
मुझे ज़िंदगी के इम्तिहान में सफल होना है, स्कूल और कॉलेज में तो सब सफल होते है।
आईना देख के समझने की कोशिश कर रहा हूँ, आज मैं अपने आप को जानने की कोशिश कर रहा हूँ, ज़िंदगी यूँ कांच की तरह तोड़ कर तबाह कर ली, आज टूटे हुए टुकड़ो को समटने की कोशिश कर रहा हूँ।
ज़िंदगी हर किसी को आजमाती है, जो संभल जाता है वो चमक जाता है।
जमाने में सौदा नहीं, आजकल सौदों पर जमाना है।
ये दुनिया नहीं बल्कि एक व्यापार है, और इसका सबसे अच्छा व्यापारी मैं बनूँगा।
ज़िंदगी जी कर गुज़ारो काट कर नहीं।
सब कुछ रखता हूँ मैं लेकिन खामोशियों से, सीखी है ये बात मैं किताबों की अल्फाजों से।
अभी चाँद नहीं निकला, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही लौट आऊंगा, पहले थोड़ा मेरा नाम होने दो।
मुझे सरेआम ढूंढते हो, मैं खुद ही मिल जाऊँगा पहले थोड़ी पहचान तो होने दो।
हर कहानी को लिखने का तरीका ढूंढता हूँ, मैं अपने आप को बदलने का तरीका ढूंढता हूँ।
अगर तुम कुछ सीख सको हमारी किरदार से तो क्या बात हो, अगर मैं बदल सकूँ किसी की ज़िंदगी फिर तो क्या बात हो।
किताबों सा बनों, सब कुछ सीखा कर भी खामोश रहो।
हर वक्त डर रहता है, कैसे तू मेरे बगैर रहता है।
हर कोई किसी न किसी नशे में बेहोश है, यही सब सोचकर हम खामोश है।
वजह से नहीं, यहाँ बेवजह छोड़ने का रिवाज है।
खुदकुशी करने की हिम्मत नहीं है मुझ में, बस इंतज़ार हादसा होने का कर रहा हूँ।
मिलने का बहाना ढूंढता हूँ, दोस्ती को रिश्ते में बदलने के लिए।
तू कुछ इस कदर है मुझ में समाई, तुझ में ही मुझे मेरी ज़िंदगी नज़र आई।
रास्तों में भटका नहीं हूँ मैं, इतनी जल्दी क्या है, अभी तो घर से निकला हूँ मैं।
आपको धोखा खाने के लिए भी, पहले लोगों को अपना बनाना पड़ता है।
खामोशियाँ भी खामोश हो के मिलती है उनसे इतनी खास है वो।
मोहब्बत को लोग बदनाम करते है, और शादी खुलेआम करते है।
अँधेरा मन में है और दिए हम घरों में जलाते है।
मैं अकेला था तो तुझे मांगता था, तू मिली साथ रहने की कीमत समझ आ गई।
मैं और तुम में इतना अंतर है कि, तुम अपने लिए जीते हो और मैं तुम्हारे लिए।
साथ रहने में मज़ा नहीं आ रहा है तो बिछड़ के देख लो।
मैं आम हूँ, वो ख़ास है। मैं जनता हूँ, वो मेरी अदालत है।
तसल्ली होती है, जब कोई जानकार हमें देख कर मुँह फेरता है।
तेरे अलावा पूरी दुनिया पराई लगती है।
सैलाब उनकी आँखों से निकला, और सब्र का बाँध मेरा टूट गया।
आज मौसम भी थोडा सर्द है, ये केवल आज कि हि बात नहीं, मेरा तो सदियों पुराना दर्द है!
कितना दुख है इस जीवन में, सब कुछ तो अब देख लिया, नराज़ हुआ था मैं दुनिया से, अब खुद से हि मै रूठ गया!
क्यों मैं खुद से हारा हूँ, क्यों मैं खुद से बेसहारा हूँ, क्यों बेचैनी मुझे सताती है, इस अंधियारे से मुझे डराती है।
आंख से आंसू सूख चुके हैं शिथिल हो गया देखो मन, मंजिल अब भी बाकी है और ताक रहा है देखो मन।
के जलती दीपक कि बाती बन, मुझमे उजियाला कर जाओ, और समाकर मन में मेरे अब तुम मेरी बन जाओ।
क्यूं तुझसे दूर मेरी तन्हाई जा रही है, क्यूं न तुझको मेरी याद आ रही है।
ये वीरानी सी राहो पर कितने दिखते सैलाब, यहाँ इस अंधियारे में ख्वाबों का क्यूं ढूंढ रहा मै आस यहाँ।
तुझ बिन दुनिया प्यारी लगती न हो तो वीरानी है, और तेरे बिन ये सारा जीवन केवल सादा पानी है।
देखो बारिश भी अब आ गयी है और संग में उमंग भी लायी है, पर प्रकृति सूनी लगती है और जीवन का रस भी अधूरा लगता है।
ये मेघ तारे भी अब गवाह बन गए ,मानो हर पल दिवाली हो सन्सार में, और एक तेरा मुझसे मिलन भी अनोखा लगा इस प्रबल प्यार में!
घाव पर नमक छिड़कते हो और कहते हो मलहम है।
दौलत की बात तो ठीक है पर इज़्ज़त का क्या?
कितना गिरोगे और खुद में गर पाप का घड़ा भर गया तो डूब जाओगे।
खूली किताब होना चाहते हो या बन्द? चुनना तुम्हें है कि खुद को आज़माना चाहते हो या आज़माने देना चाहते हो।
ये आंख अब भूल चुकी है तुम्हें, अब यहाँ तुम्हारी कोई जगह नहीं।
जीने के लिए क्या सोचा है, कर्ज उठाना है या कर्ज देना है।
अब सपने देख लिया है तो पूरा भी कर लो, अभी वक्त है ज़िन्दगी को पूरा जी लो।
मरण हमेशा लाजवाब होगा अगर जीवन में रिश्ता बेमिसाल हो।
राहत कि बात ये है कि अब सपने मैं नींद में नहीं जागते हुए देखता हूँ।
ये ज़िन्दगी बहुत उदासी से भरी है, दिल में अजीब सी हलचल मची है, ये मेरा कूसूर है या ज़िन्दगी इम्तेहान ले रही है!
क्यों तू थका सा लगे है, है तू विहंग या ना बची है तुझमे रंग।
कौन कहता है कि याद अक्सर अपनों कि आती है, गैर भी याद आते हैं गर उनसे याद जुड़ा हो।
नादान थी मेरी हरकतें सब कुछ आज़मा लेती थी, अब होशियार हो गयी हैं, पाँव रखने से पहले सोचने लगी हैं अब।
सुना है दुआ करते हो मेरे लिए, फ़िर से ठगने का ईरादा है क्या? और अब आज़मा चुके हो सबको, फ़िर से मेरी बारी है क्या?
के अक्सर लिख के मिटा देते हो नाम मेरा, क्या याद में अब नहीं रहा मैं या रटते रहते हो नाम मेरा।
सुना है ज़िन्दगी इम्तेहान लेती है, मेरी बारी कब आयेगी? थक गया हूँ लाईन में खड़े खड़े अब मेरी बारी कब आयेगी?
सुकून ढूंढ रहा था मैं किसी गैर की बांह में, सुकून मिला मुझे मेरी बांह में।
नींद नहीं आती मुझे अब रातों में, ये राते बेवफ़ा हो गयी है या ज़िंदगी।
घुटन सीहोने लगी है इस जीवन में, सुना है हर बार मौका मिलता है, इस बार नयी ज़िन्दगी का मौका दे दे मौला।
सबने कहा तू नसमझ है, दिल ने कहा अभी वक्त है, ज़ाहिर हर जज़्बात होंगे मेरी कहानी में भी इंसाफ़ होंगे।
आज का दिन बीत गया चलो अब कल की सोचते हैं।
आज कल तेरा हो गया हूँ मैं, अपनी राह में अब तुझसा हो गया हूँ मैं।
सुकून का मौसम है पर सुकून में मैं नहीं।
आज वक्त की रुबाई आई है देखो उसकी चिट्ठी आई है।
चलो अब बहुत हुआ एक किताब लिखते हैं, अपनी कहानी का हर हिसाब लिखते हैं।
जीना तो बहुत था पर ज़िन्दगी कम सी लगती है, अब तू मेरी हो गई अब कहानी कम् लगती है।
पागल कहते थे सब मुझको मैं पागल बनता फ़िरता था, अपनी जीवन कि गाथा को खुद कहता और खुद हि सुनता था।
आज अचानक से ये कहानी कहाँ से आई, मेरे हिस्से ये रुहानी कहाँ से आई।
ज़ाहिर है कि जीवन थोड़ा कठिन हुआ, पर मेरे हिस्से का पन्ना अभी खतम नहीं हुआ।
तुझमे रहकर बदल से गए हम, वर्तमान में जीके इतिहास हो गए हम।
ये रास्ता अजीब सा है मुझसे मेरी रुसवाई नही करता, खामोश था मैं अब मुझसे कोई बात नहीं करता।
ताउम्र मैं रास्ते में रहा लोगो ने सोचा इसका ठिकाना नहीं है, हकीकत तो ये थी की मैं ठिकाना नहीं खुद को खोजने निकला था।
दिवाली की लाइट सी हो गयी है ज़िन्दगी, साल भर की रोशनी एक दिन में दे जाती है।
आज फिर वक़्त निकला था मेरे ख्वाहिश पुरे करने की, फिर अचानक ज़िम्मेदारी आड़े आ गयी।
नफरतों का सैलाब लेकर किस किनारे जाएंगे, तूफान आएगा प्यार का और तुम मिट जाओगे।
ऊंची ईमारत से कुछ नजर आ रहा है, ऊपर देखो तो चाँद निचे देखु तो सैलाब नजर आ रहा है।
कहीं दूर ख्वाबो का बवंडर नजर आ रहा है, ये मेरी आंखे हैं या भ्रम का कुआँ।
कब तक ये दिन और रात सताएगा मुझे, अब मैं तंग आ गया हूँ, अब कब मेरी ना खत्म होने वाला सपना आएगा।
हल चल है अब इन हवाओं में, लगता है अब मेरा सुकून दूर जाने वाला है।
घर से निकला था कुछ पाने को, शुरुआत अच्छी नहीं थी पर अंत शानदार हुआ।
देखो मतलबी लोगों का भीड़ लगा है, बहुत अनुभव के साथ ये बात बोली है।
सबने कसम खाई थी मेरी मुझे अपनाने के लिए, मैने कसम खा ली अपनी उनका बन जाने केलिए।
सुना है मुझे खुश देखकर दुनिया दुखी होती है, चलो अब दुनिया को और दुखी करते हैं।
वो अपनो से झगड़ता फ़िरता है, उसे कहो उससे जाके मिले एक दफ़ा जो अपनो के लिए तरसता है।
सारी दुनिया मुझे बुरा समझती है, तो कोई बात नहीं बस अपने ना समझे वरना मैं टूट जाउंगा।
मैने दिल लगा के कुछ लिख दिए अलफ़ाज़, एक दिन लोग उसपे दिल लगा बैठे।
देना हो तो किसी को वक्त देना, और ये गलतफ़हमी हर जगह मत् रखना, क्यों कि कुछ लोग उपहार के प्रेमीहोते हैं।
ये लम्हा बेवजह गंवा रहे हो, जी लो इसे खुलकर क्या पता कब सही वक्त निकल जाए।
मुझसे दोस्ती का घमंड किया करो क्यों कि ये सबको नसीब नहीं होती।
हम तुम्हे जब भी याद करेंगे तुम्हारी खैरियत ही पूछेंगे।
ज़िंदगी का अनमोल मंत्र, खुद जियो और दूसरों को जीने दो।
एक ही ज़िंदगी है उसे क्यों बेकार में गंवा रहे हो, जी लो इसे खुश रहोगे।
नज़र भर देख लो इसको जिसे ये जहान सफ़लता कहता है। तेरे देखने भर से ये तेरे जीवन का एक बड़ा मकसद बन जाएगा।
तुझसे तो मैं कब का हार चुका था, अब ये ज़िंदगी भी हारने को आई है।
तेरे शहर आया था अजनबी बन कर अब तो वही का रह गया।
मैं तो इस दुनिया में तजुर्बे वाला तो नहीं पर लोग कहते हैं बातें बड़ी अच्छी करता है।
ज़िंदगी कितनी बाकी है किसे पता पर जितनी भी है उसे खुल के जियो।
एक एक पन्ना ज़िंदगी का यूँही गुज़र रहा, क्या पता कब शाम अधूरी हो जाए।
लगभग पूरे हो चुके हैं हम, ज़िंदगी जीते जीते अधूरे हो चुके हैं हम।
क्या पता इस शहर का कब कौन सी शाम लेकर आएगी और मुझे ज़िन्दगी का एक नया पाठ पढ़ाएगी।