25+ Hindi Kavita On Love | प्यार पर हिंदी कविता

hindi kavita on love, सोचता हूँ,
के कमी रह गई शायद कुछ या 
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं 
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं ,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता 
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया, क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई , क्या जितना था वो काफी नहीं था I

"सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था I"

sad hindi kavita on love, टूट चूका हूँ बिखरना बांकी है,
बचे कुछ एहसास जिनका जाना बांकी है ,
चंद सांसें है जिनका आना बांकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती है
भाई आ जा, अब क्या देखना बांकी है I

"टूट चूका हूँ बिखरना बांकी है,
बचे कुछ एहसास जिनका जाना बांकी है,
चंद सांसें है जिनका आना बांकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती है
भाई आ जा, अब क्या देखना बांकी है I"

hindi kavita for love, सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I 
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I 
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I 
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I 
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I

"सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I"

New Daily Quotes

sad hindi shayari on love, दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी मालूम ना था I 
वो बाबू से बेवफा बन जाएंगे मालूम ना था I 
हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था I 
जो अपना चेहरा हमारी आँखों में देखते थे I 
वो आईना बदल लेंगे मालूम ना था I 
ऐसे बरसेगी उसकी यादें सन्नाटे में मालूम ना था I 
दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी मालूम ना था

"दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी मालूम ना था I
वो बाबू से बेवफा बन जाएंगे मालूम ना था I
हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था I
जो अपना चेहरा हमारी आँखों में देखते थे I
वो आईना बदल लेंगे मालूम ना था I
ऐसे बरसेगी उसकी यादें सन्नाटे में मालूम ना था I
दूरियां इतनी बढ़ जाएंगी मालूम ना था I"

prem kavita on love, हंसी में छिपे खामोशियों को महसूस किया है I 
    मैखाने में बुजुर्गों को भी जवान होते देखा है I 
    हमने इन्शानो को जरुरत के बाद अनजान होते देखा है I 
    क्यों भूल जाते है इंसान अपनी अस्तित्व पैसा आते ही I 
    दुनियां ने बड़े - बड़े राज महराजा को फ़क़ीर होते देखा है I

"हंसी में छिपे खामोशियों को महसूस किया है I
मैखाने में बुजुर्गों को भी जवान होते देखा है I
हमने इन्शानो को जरुरत के बाद अनजान होते देखा है I
क्यों भूल जाते है इंसान अपनी अस्तित्व पैसा आते ही I
दुनियां ने बड़े - बड़े राज महराजा को फ़क़ीर होते देखा है I"

hindi poem for love, चलते चलते कहीं रुका,
    तो कुछ जानने वाले मिले 
    तो लगा कितनी छोटी सी दुनियां है  
    जब जानने वालों ने पहचाना नहीं 
    तो लगा की इस छोटी सी दुनियां में हम कितने छोटे है I

"चलते चलते कहीं रुका,
तो कुछ जानने वाले मिले
तो लगा कितनी छोटी सी दुनियां है
जब जानने वालों ने पहचाना नहीं
तो लगा की इस छोटी सी दुनियां में हम कितने छोटे है I"

प्रेम कविता, hindi poem on love, खुद पर गुरुर था तुम्हें की तुम मुहब्बत के बारे में सब जानते हो, अच्छा चलो बताओ उसकी आंखों को ठीक से पहचानते हो I
    क्या गलतफमी लिए जी रहे थे अब तक की तुम्हें मुहब्बत के हर रास्ते मालूम है,
    अच्छा चलो बताओ उसके दिल तक पहुंचने का रास्ता जानते हो I 
    इश्क़ की सीढ़ी लगा कर जिस्म तक पहुंचने का तरीका सबको मालूम है यहाँ,
    अच्छा चलो बताओ उसके रूह से गुफ्तगू करने का तरीका जानते हो II

"खुद पर गुरुर था तुम्हें की तुम मुहब्बत के बारे में सब जानते हो,
अच्छा चलो बताओ उसकी आंखों को ठीक से पहचानते हो I
क्या गलतफमी लिए जी रहे थे अब तक की तुम्हें मुहब्बत के हर रास्ते मालूम है,
अच्छा चलो बताओ उसके दिल तक पहुंचने का रास्ता जानते हो I
इश्क़ की सीढ़ी लगा कर जिस्म तक पहुंचने का तरीका सबको मालूम है यहाँ,
अच्छा चलो बताओ उसके रूह से गुफ्तगू करने का तरीका जानते हो II"

love shayari on love, तुझे पाने की तलब है मुझे 
    तुझे पसंद है जो गुलज़ार लिखे
    इसलिए, तेरे लिए लिखना सीख लिया
    तुझे मान, मेने अपना मीत लिया
    तेरे संग ये जीवन बिताना है
    या तो तुझे पाना है या खुद को तेरे लिए मिटाना है I

"तुझे पाने की तलब है मुझे
तुझे पसंद है जो गुलज़ार लिखे
इसलिए, तेरे लिए लिखना सीख लिया
तुझे मान, मेने अपना मीत लिया
तेरे संग ये जीवन बिताना है
या तो तुझे पाना है या खुद को तेरे लिए मिटाना है I"

प्यार पर हिंदी कविता, hindi kavita on prem, दर्द में हम उनके सामने रोये थे, और वो तब भी अपने खयालों में खोए थे, उनपे हम शायद अपना रंग न चढ़ा सके, इसलिए हम गहरी नींद में गए और वो हमे न उठा सके, उन्हें हमारी मौत की खबर भी किसी और ने दी, गुस्सा हम उनसे थे और ऊपर वाले ने हमारी ही जान ले ली, समय जब दोनों के पास था तो नाराजगी में बिता दी, ये जिंदगी शायद मैने पछतावे में गुज़र ली।

"दर्द में हम उनके सामने रोये थे,
और वो तब भी अपने खयालों में खोए थे,
उनपे हम शायद अपना रंग न चढ़ा सके,
इसलिए हम गहरी नींद में गए और वो हमे न उठा सके,
उन्हें हमारी मौत की खबर भी किसी और ने दी,
गुस्सा हम उनसे थे और ऊपर वाले ने हमारी ही जान ले ली,
समय जब दोनों के पास था तो नाराजगी में बिता दी,
ये जिंदगी शायद मैने पछतावे में गुज़र ली।"

sad hindi love poem for her, तेरे जीवन में कभी अर्चन न बनूँगी,
    तेरे सपनो के बिच न पडूँगी,
    अगर कभी कोई परेशानी आयी हो तो कहना
    तुझे छोड़ने से पीछे नहीं हटूँगी।

"तेरे जीवन में कभी अर्चन न बनूँगी,
तेरे सपनो के बिच न पडूँगी,
अगर कभी कोई परेशानी आयी हो तो कहना
तुझे छोड़ने से पीछे नहीं हटूँगी।"

प्यार के लिए हिंदी कविता, hindi poetry on love, उनकी अच्छाई ने हमको बुरा बना दिया I 
इस जमाने को देखने का नया नजरिया दिया I 
हम अकेले जी सकें, इसलिए साथ चलना छोड़ दिया I 
उनकी अच्छाई ने हमको बुरा बना दिया I 
मैं खुद से मिल सकूँ, खुद को समझ सकूँ I 
इसलिए ख्याबों में भी आना छोड़ दिया I 
ऐसा क्या था मुझमें जो उन्होंने 
मुझे छोड़ कर भी मुझसे ही प्यार किया I

"उनकी अच्छाई ने हमको बुरा बना दिया I
इस जमाने को देखने का नया नजरिया दिया I
हम अकेले जी सकें, इसलिए साथ चलना छोड़ दिया I
उनकी अच्छाई ने हमको बुरा बना दिया I
मैं खुद से मिल सकूँ, खुद को समझ सकूँ I
इसलिए ख्याबों में भी आना छोड़ दिया I
ऐसा क्या था मुझमें जो उन्होंने मुझे छोड़ कर भी मुझसे ही प्यार किया I"

hindi love shayari, दिल करता है
    दिल करता है तुझे देखते रहूं 
    दिल करता है तू कहे मैं सुनती रहूँ
    दिल करता है तेरे क़दमों के चाप पर अपने कदम राखु
    दिल करता है तेरा हाथ पकड़ के पूरी दुनिया घुमु
    दिल करता है तेरे साथ पूरा जीवन बिता दू
    बस दिल करता है तुझे हमेशा के लिए अपना बना लू।

"दिल करता है,
दिल करता है तुझे देखते रहूं,
दिल करता है तू कहे मैं सुनती रहूँ,
दिल करता है तेरे क़दमों के चाप पर अपने कदम राखु,
दिल करता है तेरा हाथ पकड़ के पूरी दुनिया घुमु,
दिल करता है तेरे साथ पूरा जीवन बिता दू,
बस दिल करता है तुझे हमेशा के लिए अपना बना लू I"

hindi kavita on love sad, जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ I  शायद अपने तरीके से जीना चाहता हूँ, फिर भी औरों के लिए जिये जा रहा हूँ I  ना जाने किस बात की खुद को झूठी तस्सली दिये जा रहा हूँ I  किसी से बात हो तो कहूं उससे की, शायद मैं भी दुनिया के तौर तरीके में उलझा जा रहा हूँ I लगता है थम सी गई है ज़िंदगी यादों के सुनहरे पन्नों में, उन्हीं यादों के सहारे जिये जा रहा हूँ I क्योंकि जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ I

"जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ I
शायद अपने तरीके से जीना चाहता हूँ,
फिर भी औरों के लिए जिये जा रहा हूँ I
ना जाने किस बात की खुद को झूठी तस्सली दिये जा रहा हूँ I
किसी से बात हो तो कहूं उससे की,
शायद मैं भी दुनिया के तौर तरीके में उलझा जा रहा हूँ I
लगता है थम सी गई है ज़िंदगी यादों के सुनहरे पन्नों में,
उन्हीं यादों के सहारे जिये जा रहा हूँ I
क्योंकि जो करना नहीं चाहता किये जा रहा हूँ I"

deep hindi love kavita, हसना तो मुझे आता है,
    रोना किसी ने सिखा दिया,
    बोलने में तो हम माहिर है,
    चुप रहना किसी ने बता दिया |

"हसना तो मुझे आता है,
रोना किसी ने सिखा दिया,
बोलने में तो हम माहिर है,
चुप रहना किसी ने बता दिया I"

love poems in hindi, है इश्क़ में सच्चा तू ऐतवार तो कर, आँखें बंदकर एक बार मेरा दीदार तो कर, हुआ नहीं तुझे अब तक तो हो जायेगा, तू बस थोड़ा सा इंतजार तो कर !!

"है इश्क़ में सच्चा तू ऐतवार तो कर,
आँखें बंदकर एक बार मेरा दीदार तो कर,
हुआ नहीं तुझे अब तक तो हो जायेगा,
तू बस थोड़ा सा इंतजार तो कर !!"

best poems on love in hindi, तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I बिना बात हसाती है, रुलाती है I बड़े -बड़े ख्याब दिखलाती है I क्योंकि, तन्हाई में भी है बहुत सी अच्छाई I अपने आप से मिलबाती है I ज़िंदगी जीने का तरीका सिखलाती है I आपनो की याद दिलाती है I बातें जो दफ़न हो गई है यादों की कब्र में उस से मिलबाती है I क्योंकि, तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I ख्यालों के मजधार में डुबोती है I खुद पर भरोसा करना सिखलाती है I क्योकि तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I

"तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I
बिना बात हसाती है, रुलाती है I
बड़े -बड़े ख्याब दिखलाती है I
क्योंकि, तन्हाई में भी है बहुत सी अच्छाई I
अपने आप से मिलबाती है I
ज़िंदगी जीने का तरीका सिखलाती है I
आपनो की याद दिलाती है I
बातें जो दफ़न हो गई है यादों की कब्र में उस से मिलबाती है I
क्योंकि, तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I
ख्यालों के मजधार में डुबोती है I
खुद पर भरोसा करना सिखलाती है I
क्योकि तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I"

बड़ी मायुश सी रहती है मेरी ज़िंदगी आजकल मुझसे
कहती है परेशान हो चुकी हूँ तुझे सवांरते - सवांरते
तेरी खामियों को नजरअंदाज करते करते
नादान है मुझसे शिकायत कर लेती है,
क्या बताऊँ उसे के कुछ उलझा सा हूँ मैं भी
उसकी परेशानियों को सुलझाते - सुलझाते,
अधूरा सा रह गया हूँ मैं भी,
उसकी ख्याइशों को पूरा करते करते I
चाहती है वो के मैं चलूँ उसके बनाये रास्ते पर
वो रास्ते जो उसे उस तक ले जाती है,
जो थोड़ा समझ पाए वो कि, रास्ते ये उसके बनाये
मुझे खुद से दूर ले जाती है I
मर्जी नहीं मेरी, तौर - तरीके मैं उसके निभा रहा हूँ
तुमसे मिलते- मिलते ऐ ज़िंदगी, एक अरसा बीत चूका
खुद से खुद का हाल भी नहीं पूछ पाया हूँ I
अरमान ये तुम्हारे, बोझ उसका मैं ढो रहा हूँ
निराश हो तुम फिर भी, पूछते हो मुझे
मैं तेरे लिए कर ही क्या पाया हूँ I
काश के तुम समझ पाओ कभी,
मैं हताश हूँ तुमसे, तुम निराश हो मुझसे
परेशान हम दोनों है एक दूसरे से,
थोड़ा समझ है नादान, के शिकायत करने का हक़ पूरा तुझे ही दे रखा है
हाँ कसूर है मेरा के मैं तेरे मापदंडों पर, खड़ा नहीं उतर पाता हूँ
पर क्या ऐ ज़िंदगी तुझे तोड़ी भी परवाह है,
के मैं तुझेसे क्या चाहता हूँ I

कितना सच ये कि,
ये जो मैं हूँ, मेरा वजूद वो है ?,
या है भी के नहीं I
जो दिखता है आईने में हू ब हू मेरे जैसा,
छाया है मेरी या आईने के अंदर मैं हूँ ?
ये दुनियां जो दिखती है इन नजरों से,
वो है यहाँ ?,
या प्रतिछाया है बस मेरे मन की क्यों कैद है ये दुनिया,
चारदीवारी जब दिखती नहीं I
जो दिखती है ये नजरें, क्यों अक्सर ये सच नहीं यहाँ
क्यों झूठलाती है ये नजरें, जो वाकई सच है यहाँ
एहसास क्यों नहीं सच का इस दुनियां को, क्यों भ्रमित है सब यहाँ
सिर यहाँ क्यों झुके हुए है, जब बोझ नहीं है सिर पर
एहसास जिनसे छल रहे है खुद को, वो झूठ है इस दुनियाँ का
एहसास जिनका ये सच मानते है, उनमे सच्चाई कितनी है ?
रिश्तों की कमी नहीं यहाँ, पर उनमे गहराई कितनी है?
कितनी सच है ये दुनियां और कितनी नहीं,
मैं अभी हूँ भी यहाँ, के कभी था भी या नहीं I

ऐ ज़िंदगी तू साथ चल मेरे,
अब कहानी नई लिखते है I
छोड़ अब किसी के आने की उम्मीद,
अब तलाश खुद की करते है I
काफी वक्त गुजार दी हमने एक दूसरे के नफ़रत में,
आ अब शुरुआत नई करते है
बचे कुछ पल जो है तेरे मेरे साथ के,
आ गुजार लें एक दूसरे के प्यार में I
हाँ मालुम है के कुछ शिकायतें थी तुझे रवैये से,
पर निराश तो तुमने भी कई बार मुझे किया ही था
आ चल ख़त्म करें अब अपनी नोक -झोंक,
एक दूसरे को अपना लें अब I
बची जो थोड़ी स्याही है हमारे कलम में,
आ साथ मेरे अब कहानी नई लिखते हैं I
थोड़ी सी समझदारी और थोड़ा समझौता,
आ अब पुरानी कलम से जज्बात नई लिखते हैं
ऐ ज़िन्दगी तू साथ चल मेरे अब कहानी नई लिखते हैं I

जो शब्दों में अगर मैं बयां कर पाऊं चाहत कभी
हर यादें वो तुमसे जुड़ी,
हर वो बात उन यादों से जुड़ी
उन यादों से, तेरी बातों से
जुड़ा हुआ हूँ मैं अब भी
जो लिख पाऊं मैं उन जज्बातों को,
शब्द बनकर दिल की कलम में अब इतनी ताकत नहीं I
कोशिश जारी है मेरी, वो मकसद समझने की
जो ज़िंदगी सिखलाना चाहती थी मुझे,
शिकायत तुमसे नहीं, तुम तो एक जरिया बनी
जाने क्या सिखला कर गई हो तुम,
तुमसे नहीं, गर ज़िंदगी मिले तो पूछूँ कभी
ग़मों के ढेर में एक नाम तुम्हारा भी जुड़ा है बस
ऐ ज़िंदगी क्या बस इतनी ही थी चाहत तेरी I
नाउम्मीदी भरी ही सही, दिल में है मगर एक चाहत अभी भी
जो थोड़ी हो आहट तेरे आने की कोई,
नासमझी है मेरी, मगर देती है मुझे ये राहत थोड़ी
सबक का जरिया बना कर भेजा था जिसे ज़िंदगी ने
जो लौट आये मुझमे मेरा हिस्सा बन कर कभी,
देखे वो यादों का कमरा, जो अब तक सजा कर रखा है मैंने
उसकी यादों से जुड़ी, हर बाद उन यादों से जुड़ी
जो शब्दों में अगर मैं बयां कर पाऊं चाहत कभी I

खुशी और गम के मायने एक हो गए,
तुम्हारे साथ तुम्हारे बाद दोनों के मायने एक हो गए,
महफिल और सड़क के मायने एक हो गए,
हम अपने आप से मिल गए ज़िंदगी के मायने एक हो गए।

हर दर्द को लिख दूं इतनी हिम्मत नहीं,
आपको अपने साथ लिख दूं इतनी हिम्मत नहीं,
आपको किसी और के साथ देख लू इतनी हिम्मत नहीं,
अपनी ज़िंदगी किसी और के नाम लिख दूं इतनी हिम्मत नहीं,
बदनाम तो हम भी हैं लेकिन बदनामी की वजह लिख दूं इतनी हिम्मत नहीं।

मैं ना जाने किस इंसान की इंतज़ार में बैठा रहा,
जो हमारे शब्द नहीं समझते थे मैं उनकी जज़्बात समझता रहा,
दूर तो वह हमसे कई कुछ साल पहले ही चले गए थे,
दूर तो वह हमसे कई साल पहले ही चले गए थे,
वह हमारे साथ रहते थे मैं उसे साथ समझता रहा,
बेवजह ही मैं उसके नाम के पीछे अपना नाम लिखता रहा।

खुद ही खुद का गुनहगार बन कर बैठा है,
ना जाने क्यों किसी और के ऊपर ऐतबार करके बैठा है,
चंद रुपयों की नौकरी के लिए ना जाने क्यों अपनी ज़िंदगी किसी और के नाम करके बैठा है,
दुनिया को दिखा रहा है या खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है,
दुनिया को दिखा रहा है या खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है,
दिन के दिखावो के चलते रात का सुकून बेचकर बैठा है।

तुम वो एहसास हो,
है तो वो भी पानी ही मगर
सुबह घास पर पड़ी मिली,
ओस की बूँदों सी खास हो।

तुम वो एहसास हो,
है तो वो भी शोर ही मगर
बहती हवा संग सुर मिलाती,
पत्तियों की सरसराहट सी खास हो।

तुम वो एहसास हो,
है तो वो भी शब्द ही मगर
निःशब्द संगीत को आवाज देती,
सुरमयी अल्फाजों सी खास हो।

तुम वो एहसास हो,
समझ तुम पाती तभी
जो होता ये दिल मेरा,
अगर तुम्हारे पास तो।

तुम वो एहसास हो...
तमाम एहसासों में खास हो।

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