
"अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी, मंज़िल मिलती है मौत के बाद।"
"अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी, मंज़िल मिलती है मौत के बाद।"
"क्या बताऊं कैसे गुज़र रही है राह-ए-ज़िंदगी, शामें तन्हा है और रातें अकेली।"
"ज़िंदगी के सफर में हिंदी वाला "सफर" करते रहिये, वर्ना अंग्रेजी वाला "Suffer" तो लगा ही रहेगा।"
New Daily Quotes
"माना की ज़िंदगी में गम बहुत है, कभी सफर पर निकलो और देखो खुशियां।"
"मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था, एक अजनबी मिला और उसने अपना बना लिया।"
"अब जाना मैंने ज़िंदगी क्या है, सफर में भी हूँ लेकिन जाना कहीं नहीं है।"
"ज़िंदगी की खूबसूरती देखना है तो कभी सफर पर निकलो।"
"अगर अपने आप से ऊब जाए तो जरूर सफर पर निकल जाय, हो सकता है की आपकी ज़िंदगी संवर जाए।"
"ज़िंदगी एक ऐसा सफर है जिसकी राह ही इसकी मंज़िल है।"
"ज़िंदगी एक सुहाना सफर है अगर साथ एक मनचाहा हमसफ़र है।"
"आरज़ू थी मिले हमसफ़र मुझे भी ज़िंदगी के सफर में, तलाश मेरी पूरी हुई जब ज़िंदगी ने मिलाया मुझे तुमसे इस सफर में।"
"आज फिर तेरी यादों के सफर में खो गया, ना मंज़िल मिली ना सफर पूरा हुआ।"
"सफर में हूँ मंज़िल आँखों में बसाये, अभी अरमान मेरे अधूरे से है।"
"ज़िंदगी के सफर में किसी के साथ का क्या भरोसा, अकेले आये थे अकेले जाना है।"
"ज़िंदगी के सफर के पड़ाव कई बिता दिये, पर किरदार हमारा है के कुछ बदलता नहीं।"
मेरा ख्वाब वही है बस सफ़र नया है।
उम्र का क्या करे ये तो कभी नहीं ठहरती, बस हमेशा सफ़रमें रहती है ।
सबसे खूबसूरत यादें इस सफ़र कि हैं, इससे खूबसूरत कुछ भी नहीं ।
मैं ज़िन्दगी भर सफ़र करता रहा और मेरे सफ़र ने मुझे इन्सान बना दिया।
मुझे क्या पता कि ज़िन्दगी क्या है, हर वक्त मैं तो सफ़र में रहता हूँ।
क्या खूब सफर है ये ज़िंदगी, हर रोज़ वही सुबह और वही शाम, फिर भी हर रोज़ का सवेरा नया लगता है।
सफर करने से ज़िंदगी का अनुभव बढ़ता है।
लोग चाहे जितना भी करीब हो, लेकिन हर कोई अकेला है ज़िंदगी के इस सफर में।
ज़िंदगी के इस सफर में रिश्तों का बोझ जितना कम हो, सफर उतना आसान हो जाता है।
नई चीज़ों से रु ब रु होना चाहते है तो एक बार अकेले सफर पर निकलें।
ज़िंदगी के सफर में हूँ लेकिन मानो कहीं गहरे पानी सा ठहरा सा हूँ।
वो मंजिल ही क्या जिसके रास्ते में मजा न हो।
ख्वाहिश इतनी है कि मंजिल मिल जाए मौत से पहले।
कितने दुख हैं इस जीवन में, पर सफ़र पर निकल के देखो कितनी खुशियां हैं।
उम्र बिना रुके चली जा रही है, लगता है सफ़र लम्बा है।
ज़िन्दगी के सफ़र में सबको साथ लेकर चलते रहो, वरना ज़िन्दगी अफ़सोस से भरी रहेगी।
ये रास्ता मुझे समझ नहीं आता, मुसाफ़िर हूँ मैं और मंजिल का कुछ पता नहीं।
ये रास्ते कहां तक हैं इनका कोई किनारा क्यों नहीं दिखता, इस तन्हाई में कोई सहारा क्यों नहीं दिखता।
अब घर में मैं मेहमान हो गया हूँ, रोज़ आता जाता हूँ, यूही लगता है अब बेघर हो गया हूँ मैं।
ये सफ़र है, लगता है अब मेरा कोई घर नहीं, ताउम्र सफ़र में बिता दी ज़िंदगी मैने, अब लगता है कि सफ़र का हि हूँ मैं।
ख्वाहिश में मेरी केवल इतना गम है, कि मैं तेरी यादो के सहारे सफ़र में चलता जा रहा हूँ।
क्या करू अब मुझे मन्ज़िल से ज्यादा सफ़र में मजा आता है।
तू मुझे नजर सफ़र में आया था और सफ़र तक हि हमारा साथ रहा था।
हर ख्वाब हर मन्ज़िल नई लगती गर तुम सफ़र को हकीकत समझते।
अब कहिं दूर का सफ़रकरने को मन करता है चलो अब वहि एक नया आसिया बनाते हैं।
ये तेरी संघर्ष कि जो कहानी है ये एक शानदार सफ़र कि कहानी है।