"आँखों में अपने समंदर समेटा हूँ, ऐ बादल तू मुझ पर मत बरस।"
"आँखों में अपने समंदर समेटा हूँ, ऐ बादल तू मुझ पर मत बरस।"
"तू मुझसे मेरी इश्क़ की इंतहा ना पूछ, मेरे आंसू तुम्हें सैलाब बन कर बहा ले जायेंगे।"
"अब बारिश ही जाने की उसकी बून्द ख़ुशी के आंसू होते है या गम के।"
New Daily Quotes
"बारिश और किसी की याद ज्यादा आ जाए तो सैलाब आता है, एक में बूंदों का दूसरों में आसुंओं का।"
"काश ऐसा हो पाता, मेरा प्यार बादल बन कर तुझपे बरसता।"
"अब तुझसे क्या शिकवा करूं, लेकिन तेरी यादों की बारिश ने तबाही बहुत मचाई है।"
"सावन की बारिश भी शरमा जाए, तेरी यादों में मैंने जितने आंसुओं के सैलाब बहाये है।"
"सावन की बूंदें भी दिल में आग लगते है।"
"कभी भीगते थे संग तेरे हम सावन की रिमझिम बारिश में, आज अकेला ही भीगता हूँ मैं अपने आंसुओं की बारिश में।"
"तकलीफ तो होती होगी उन बादलों को, जिनसे बून्द बिछड़ कर ज़मीन पर आ गिरती है।"
"तेरा इश्क़ मेरे जीवन में आंधी सी आई, आंसू बूंदें बन कर सैलाब बनी और सब बहा कर ले गई।"
"मत पूछ इश्क़ में दर्द कितना है, आँखों से सैलाब बहाते आशिक़ नजर आते है।"
"लगता है ये बादल भी इश्क़ में पड़ गया है, तभी बेवजह बेमौसम बूंदें बरसा रहा है।"
"बारिश तो होती है, मगर वो बचपन वाली बारिश अब लौट कर नहीं आती है।"
"मौसम की पहली बारिश अपने साथ कई सारी यादें लेकर आती है।"
तेरी बिन अब सोचा भी नहीं जाता, ये बारिश मुझे तेरे बिन परेशान किए जा रही।
लोग करते होंगे Romance की बातें, इन बारिश में हम तो बस चाय कि चुस्की लेते हैं।
अब बादल घिर कर आ गया है सर पे लगता है, अब बरसात जोरदार होगी।
बहुत अच्छे किरदार में हैं, ये बादल भी अब लगता है बारिश को सबक सिखाके ही मानेंगे।
तेरा जुनून भी क्या गजब का है, हर बार आती है और बारिश की तरह मुझे बहाले जाती है।
पहले प्यार का पहला सावन भुलाये नहीं भूलता।
देखने का नजरिया अलग-अलग, पर बारिश का इंतज़ार किसान हो या प्रेमी सबको रहता है।
तुझ में और बारिश में एक खास बात है, दोनों ही कभी-कभी बेवजह ज़ोर से बरसते है।
आज आसमां भी मेरे साथ कुछ उदास सा था, बेवजह की बारिश लगातार होती जा रही है।
मेरे दिल के आँगन में उनकी यादों के बादल छाए है, ऐ आसमानी बादल तू कहीं और जा के बरस।
पहली बारिश के बाद मिट्टी की खुशबू की बात ही कुछ और होती है।
किसको सुनाता फिरूं मैं काबिलियत अपनी, मैं बरसने वाला बादल हूँ गरजने वाला नहीं।
पहले बारिश में हम तुम मिलते थे, अब तुम्हारी याद आती है तो आँसूओ कि बारिश होती है।
खो गया हूं इस मौसम में, बिन बारिश मुझे भीगाए जा रही है।
बंजर सा लगने लगा है ये समां, अब बरस जाओ न पहली बारिश कि तरह।
कैद न रखा कर खुद को, सावन में बाहर बारिश में थोड़ा भीग जाया कर।
बाहर बारिश हो रही हो, मैं तुझसे एक फ़रमाईश करू और तू मैं और एक हसीन शाम हो।
भीगता हूं मैं बारिश में आँसूओ को छिपाने के खातिर, कहिं गर तूने देख लिया तो जलजला आ जाएगा।
शान्त बैठा था खुले आसमान के नीचे तभी बारिश होने लगी, मैं समझ गया मेरे दर्द को सुनकर येबादल भी रोने लगा।
ये रात क्यों गुजरती नहीं, अब ये तेरी याद मुझे क्यों सताती नहीं, और ऊपर से ये बरसात क्यों जाती नहीं।
इंतज़ार में है ये नदियाँ ये घटा ये धरा और मैं, अब बरस भी जा ए गगन।
ए आसमान अब तू ही बरस जा, धोदे नफ़रतों को अब तू हि भगवान बन जा।
शोर बहुत है, फिजाओं में ये बादलों की आवाज़ है या बारिश जोरदार हो रही है।
जंग जीतने की तैयारी थी, आज पर इस बारिश ने सबको मिट्टी में मिला दिया।
कौन है वह, कैसा है, यह नहीं पता, पर जो भी है, इस बारिश की तरह है, पूरे माहौल को खुशनुमा कर जाता है।
बारिश की बूँद बनना चाहते हो या पूरी बारिश मुझे भीगाना चाहते हो या मुझपर बरसना।
जैसे-जैसे यह बारिश का मौसम आ रहा है, वैसे-वैसे हम तेरे दीवाने होते जा रहे हैं।