"चाह के भी मजबूर है हम, कैसे बताये उन से दूर है हम।"
"चाह के भी मजबूर है हम, कैसे बताये उन से दूर है हम।"
"उसके लिए निलाम हो गई, उसकी बोली लगी और मैं बीच बाज़ार उसके नाम हो गई।"
"हम साँस भी उनसे पूछ के लेते थे, और वो किसी और के साथ हम से बिना पूछे चली गयी।"
New Daily Quotes
"कबूल ना हुई पर माँगा हमने, तुम्हें हर दुआ में है तुम्हें।"
"वादे का पता नहीं लेकिन जब तक ज़िंदगी रहेगी तब तक आपके साथ चलेंगे।"
"तुम फिर मिलोगे पता नहीं सच कितना है, ये सोच खूबसूरत कितनी है।"
"कहने को तो ज़िंदगी में चार चाँद और जुगनू हजार है, लेकिन हाथों में किताब और हम बेरोजगार है।"
"इबादत के बाद भी इंतज़ार उन्ही को मिलती है जिनकी पूरी होनी होती है।"
"दुनिया एक रब की नहीं हुई तो हमारी क्या खाख़ होगी।"
"सब मेरे थे जब तक वो मेरे थे।"
"जब तुम्हारी याद आती है कमाल होता है, कभी आ के देखो क्या बवाल होता है।"
"देखते देखते उनको हम रोने लगे, उसकी दुआ सुनोगे तुम भी रोने लगोगे।"
"वो बिलकुल चाँद की तरह निकली दूर भी हो गई और गुरुर भी हो गया।"
"हमें इश्क से फर्क पड़ता है, रंगों पर हम नहीं मरते।"
"वो हक़ीक़त सी लगती है, ये ख्वाब भी सच लगता है।"
वो बेतुकी बातें करते थे और मैं हर बार उसे Serious लेकर उन्हे खुश करता रहता था।
बहुत दिल दुखाया है मैने अपना, अब आईने कि तलाश में हूँ खुद से माफ़ी मांगने के लिए।
मुझे याद करोगे गर मैं खो गया कहीं, तो उस याद में तन्हा रह जाओगे तुम।
बहुत दर्द मैंने पी लिया उसे जुदा होते वक्त उनकी सलामती के लिए।
किसी एक का नहीं कितनों का हुआ मैं, बिकता रहा सरेआम मोहब्बत के नाम पर।
"किसी को भूलना ज्यादा मुश्किल है किसी को प्यार करने से।"
"हर रोज़ किसी किसी की शिकायत की नहीं जाती, जिस से मुहब्बत हो उसकी बुराई की नहीं जाती।"
"वो वही ढूँढती रहती है मुझमे जिन लकीरों को मैं मानता नहीं।"
"कड़ी धूप में बरसात देदू, तू दरिया खोद तुझे नाव देदू।"
"उसके रहते मेरा ये हाल था की उसके जाने का कोई मलाल न हुआ।"
"छोटी छोटी बात पर घबराते क्यों हो, अगर सब जानते हो तो पूछते क्यों हो।"
"हम उनके तलाश में यु हीं भटकते रहे, कभी हमें उनका घर न मिला, तो कभी वो हमें घर पर ना मिले।"
"हम उनके नाम पर किस्से और कहानियां हजार लिखते है, जब भी उन्हें देखते है फिर अपनी ज़िंदगी उनके नाम लिखते है।"
"सब कहते है मैं बहुत अच्छा हूँ, पर ये बात कुछ लोगों को अच्छा ना लगा।"
"मतलब था तो साथ थे।"
तुम्हारी अकड़ को लगाम दो, मौत आने के बाद यह काम नहीं आएगा।
अच्छा हूँ मैं, यह मेरी अच्छाई है, तुमसे जुदा होने का दर्द जो सहा है मैंने।
तुम डर गए क्या? मेरी औकात देखकर देखना कहीं रो न देना।
दुनिया के सारे गम मेरे पास होंगे, तो भी मैं माँ को देख भर लेने से मुस्कुरा दूँगा।
अपनों का गम कब का कैद हो गया, इस महफ़िल में आने से सब धूमिल हो गया।