"कुदरत ने तराशा है और इंसानों ने संभाला है I"
"कुदरत ने तराशा है और इंसानों ने संभाला है I"
"बारिश का मौसम याद दिलाते हैं गरम चाय, स्वेटर और अरुणाचल I"
"यहाँ धूप क्या, क्या सावन, बहारें भी बरसती है I"
New Daily Quotes
"जब सफ़ेद चादर से लिपटी ये धरती और नीले से आसमान, तो दोनों लगते हैं एक सामान I"
"कुछ तो बात है इन हवाओं में, वरना साथ इन्हें पंछियों का ना मिलता I"
"अरुणाचल की वादियां, धान की क्यारियाँ, बहकती फिजा, मुस्कुराती कलियाँ I"
"यहाँ खुशबू है वादियों में, यहाँ खुशबू है लोगों के किरदारों में I"
"ये हंसी वादियां, ये खुशनुमा समा, ये ठंडी हवा, ये झुका आसमां I"
"जैसे बर्फ पहाड़ों को ढक लेती है, तो उसकी सुंदरता बढ़ जाती है I"
"यहाँ प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्भुत है I"
"कितनी सादगी है इन हवाओं में, देखो फ़िज़ाएं बरस रहीं हैं I"
"हम फ़िज़ाओं में कहीं गुम हो गये, जब से हमें मिज़ोरम की फ़िज़ाओं की आदत हुई I"
"प्रकृति से रु ब रु होने के बाद ही, मुझे खुद से रु ब रु होना आया I"
"जब मैं यहाँ की प्रकृति से मिला, फिर किसी और से मिलने की चाह ना रही I"
"प्रकृति हमेशा आत्मा के रंग पहनती है।"
"जितना आप प्रकृति के ओर जाएंगे वो उतना ही आपकी ओर आएगी I"
"हवा के झोकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो, तुम एक दरिया हो, लहरों की तरह बहना सीखो I"
"आप नहीं भूल पायेंगे यहाँ की शाम, ये है मिज़ोरम, ये है मिज़ोरम I"
"कुछ इस तरह मैं मिज़ोरम का हुआ, वहां के हर एक पल ने मेरी रूह को छुआ I"
"मिज़ोरम की फ़िजा से ज़िंदगी को नई लहर मिली, वहां के दरिया से बहने का नया हुनर मिला, कुछ इस तरह, मैं अपने ख्वाबों से मिला I"
"आप खुद से मिलते हैं जब आप प्रकृति को करीब से देखते हैं I"
"आत्मा की शांति के लिए प्रकृति ही एक मात्रा जगह है I"
"प्रकृति जो धुन सुनती है वो सबसे सुरीली होती है I"
"जंगल इंसानों के लिए धरती पर स्वर्ग है I"
"प्रकृति के पास आपके सारे सवालों के जवाब हैं I"
"हर प्रकार के लोगों को सुख देने की शक्ति केवल प्रकृति के पास ही है I"
"प्रकृति ज्ञान का समंदर है I"
"खुद को बदलो प्रकृति को नहीं I"
"प्रकृति का करो सम्मान, ये है हम सब की जान I"
"प्रकृति कुछ बोलती नहीं है, लेकिन एक अलग एहसास दे जाती है I"
"कितनी सुंदर है ये प्रकृति का रूप, इसके होने से निखर आता है इस जग का रंग रूप।"
"बहुत मनमोहक है ये हवाएं, हर बार मैं इनका होके इनमे खो जाता हूं।"
"ये पेड़ नहीं इनमे भी हमारी तरह जीवन है, इन्हें भी अपने जैसा समझो, ये आपको अपने जैसा समझेंगे।"
"हर जगह है पहरा प्रकृति का, बस नज़रिया इसे देख लेने वाला रखना।"
"प्रकृति से कभी दूर मत होना वरना जीवन में अंधेरा आने में समय नहीं लगेगा।"
ये प्रकृति की बात है, इसे बदलने चलोगे तो खुद मिट जाओगे।
क्या बात है इस मौसम में हर बार मुझे अमर कर जाता है।
क्या अद्भुत कला है ऊपर वाले के हाथों में जो प्रकृति को बनाया।
ईश्वर से इतनी प्रार्थना है कि इतनी सद्बुद्धि देना की मैं हर काम प्रकृति के अनुकूल करूं।
क्या बात है इन फ़िज़ाओ में ये पेड़ पौधे मुझे विहंग सा बना देते हैं।
ये हवाओं का भी मिजाज गजब का है, हमेशा इन फिजाओं में हमेशा जी लेती हैं।
ख्वाहिश यही है कि अगले जन्म में पेड़-पौधों सा बन जाऊं, कम से कम इस प्रकृति में खुलकर तो जी सकूं।
थोड़ा सा भी मेरा हक होता तो इस प्रकृति में खुद को समा लेता।
क्या-क्या गुण हैं इस प्रकृति के, गिनते-गिनते जीवन बीत जाएगा।
क्या अद्भुत नजारा है इस प्रकृति का, इसमें राम जाने को दिल करता है।