"अगर आपको हर किसी का साथ पसंद होता है, तो दुनिया के सबसे अकेले व्यक्ति आप है।"
"अगर आपको हर किसी का साथ पसंद होता है, तो दुनिया के सबसे अकेले व्यक्ति आप है।"
"इंसान का अकेलापन हर किसी से नहीं, अपने ही जैसे किसी दूसरे का साथ पाकर खत्म होता है।"
"इंसान अकेलेपन का नहीं, किसी के साथ का शिकार बनता है।"
New Daily Quotes
"आपकी अच्छी आदतें ही आपके अकेलेपन की सच्ची साथी है।"
"आप सबसे ज़्यादा अकेले तब होते है, जब आप किसी का साथ पाने की कोशिश में होते है।"
"अक्सर दो इंसान साथ आकर एक-दूसरे का अकेलापन नहीं, सिर्फ अपना-अपना अकेलापन दूर करना चाहते है।"
"सच ये कड़वा है की अगर कोई आपके साथ है, तो वह आपकी कीमत लगा चूका है।"
"अकेला वह नहीं जो अकेला दिख रहा है। अकेला वह है जो किसी के साथ रहकर अकेलापन महसूस कर रहा है।"
"अगर आपका साथ हर किसी को पसंद आ जाता है, तो हो सकता है की आप एक उम्दा अभिनेता है।"
"आपके आस पास इंसानों का होना आपका अकेलापन दूर नहीं करता। यकीं नहीं होता तो भीड़ में चलकर देख लीजिए।"
"अकेलापन आपस में बात करने से नहीं, एक दूसरे की बात सुनने से ही दूर होती है।"
"आपको खुद के अकेले होने का उतना गम नहीं होता, जितना किसी को किसी के साथ देख कर होता है।"
"किसी का साथ भी अकेलापन दे कर जाता है।"
"अकेले रहकर जिसे अकेलेपन का एहसास ना हो, उसने अपने भीतर खुद को ढूंढ लिया है।"
"आप खुद को भी अपने लायक नहीं समझते, तभी तो खुद को अकेला पाते है।"
"अगर एक नज़रिये से देखें तो हर एक इंसान अकेला ही है। जो साथ दिखते है वो दरअसल समझौता कर चुके है।"
"अकेले रहना इतना भी मुश्किल नहीं है। कभी भीड़ से निकल कर उस भीड़ को जरा देखिये तो सही।"
"अकेलापन कोई बीमारी नहीं बल्कि मन की सर्वश्रेष्ठ अवस्था है II"
"गौर से देखेंगे अगर तो सबको आप अकेला ही पाएंगे, जरूरतों के बंधन में बंधे एक-दूसरे के पीछे भाग रहे है बस।"
"अकेले रहने की ज़रूरत पड़ जाना बीमार पड़ जाना है, पर इसकी आदत लग जाना सभी अनचाही बीमारियों का इलाज हो जाना होता है II "
"अकेलेपन की दो ही स्थितियां है - दुनियां से परेशां हुआ इंसान, या तो खुद में संपूर्ण हुआ इंसान II "
"अकेलापन वो नहीं कहलाता जब इंसान खुद को संसार से सकुचित कर ले, अकेलापन वो स्थिति है जब इंसान खुद में पूर्ण महसूस करें II "
"अकेला रहने वाला इंसान किसी का दिल जीते या ना जीते, किसी का दिल कभी नहीं दुखा सकता।"
"अजीब बात है की अकेलेपन को दूर करने के लिए इंसान किसी और का दिल जीतने की कोशिश करता है। जबकि शुरुआत उसको अपने दिल से करने चाहिए II"
"अकेलेपन की आदत कुछ यूँ लग गई है मुझे, की अंधेरों का दामन थाम लिया है हमने, के हम खुद भी खुद से ना मिल सकें, अपनी परछाई से भी दूर रह सकें।"
"साथ देने की बात हर कोई करता है, पर देता कोई नहीं।"
"अपने आप से बड़ा साथी इस दुनिया में ना कोई है और ना कोई मिलेगा।"
"अपने आप को बदल के किसी और के साथ से अच्छी तो तन्हाई है।"
"अकेला हूँ, अपनों के दिए ज़ख्मों को भर रहा हूँ।"
"अपने आप से बातें करता हूँ, अपने आप को खुश रखने के लिए।"
बहुत दिनो से उदासी छाई है, अब मैं अकेला पड गया हूँ।
वो मेरे बिना जी रहा है ज़िंदगी, उसको उसकी ज़िंदगी मुबारक।
अकेलेपन से परेशान मत होना, ये निशानी है सही रास्ते पे चलने कि।
मैं उनके लिए हमेशा पराया रहा, मुझे अपना कहते थे और मुझे पराया समझते थे।
अब उन्हें मनाने का फायदा नहीं, अब वो मुझसे रूठने का नाटक करने लगे है।
अकेले वही होते है, जिनमें अक्ल होती है, वरना दुनिया तो भीड़ के साथ ही चलती है।
कुछ करने के इरादे से चल रहा हूँ, अभी नहीं रुकूंगा अभी खुद को बदलने के इरादे से चल रहा हूँ।
ख्वाहिशों पर चलना सब के बस की बात नहीं, क्योंकि बस अपने सोच के साथ चलना पड़ता है।
मैं अकेला चलता हूँ, रुकने वालों में से नहीं हूँ, सबसे आगे निकलने वालों में से हूँ।
कहानी की शुरुआत सब की अच्छी होती है, लेकिन अंत उसी की अच्छी होती जो अपने आप के साथ होता।
अक्सर ये ज़माना एक अकेले लोगों के पीछे ही भागता है।
जो हमदर्द होते है वही सबसे ज्यादा दर्द देते है।
कुछ अपनों के चलते अकसर हम अपने आप से खफ़ा हो जाते है।
जो तन्हा होता है, वही सबसे अच्छा कलाकार बनता है।
जो अपने साथ होते है वही अपने आप को बदल पाते है।
इतना शोर है इस शहर में कितने लोग हैं, यहाँ पर उस जैसा कोई नहीं।
सब कहते हैं 'मैं हूँ ना' जब आज़माने की बारी आई सब पराए हो गए।
मुझे हर बार रुला कर जाती है ए ज़िंदगी, शायद तुझे पता नहीं मेरे पास कोई नहीं है चुप कराने वाला।
ये सजा भी बड़ी बेरहम है, मुझे तन्हा देखकर भी नहीं पिघलती।
कितना अकेला हूँ किससे कहुँ, ये सुनने वाला भी तो कोई नहीं।
सबने समय-समय पर परखा था मुझे, पर काश किसी ने समझा होता।
अकेले निकले थे घर से, सब कहते हैं अब तो आगे निकल गए हो, किसको बताऊं कि कितना तन्हा हो गया हूँ।
बारिश का था मौसम और शमा भी थी हसीन, मैं था तन्हा और फ़िज़ा थी गमगीन।
जाने क्यों लोग सोच लेते हैं मेरे बारे मे के 'वो तो खुश है', क्यों नहीं देखते मेरे चेहरे के पीछे के अकेलेपन को।
सब ने हौसला दिया और चले गए, एक मेरा गम था जो मेरा साथ ही नहीं छोड़ता।
अंधेरे से डर लगने लगा है मुझे अब, मैं अकेला जो हो चुकाहूँ।
अकेले चलता हूँ मैं, कच्ची सडकों पर, अब किसी के रहने या न रहने से मुझे फ़र्क नहीं पड़ता।
खुद से हि बातें कर लेता हूँ, तुझे समझ कर, जवाब भी तेरे जैसा हि दे लेता हूँ अब।
वो मुझे दोहरे चरित्र का कहने लगे थे, मैंने भी अकेलापन चुन लिया, उनकी खातिर।
जो मुझे समझ नहीं सका, उसके लिए हमने अकेलापन चुन लिया।