40+ सरदार वल्लभभाई पटेल कोट्स हिंदी में | Sardar Vallabhbhai Patel Quotes In Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल कोट्स हिंदी में, sardar vallabhbhai patel quotes in hindi, इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।

"इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।"

Sardar Vallabhbhai Patel

sardar patel quotes in hindi, आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

"आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।"

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sardar vallabhbhai patel famous quotes in hindi, शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।

"शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"

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New Daily Quotes

vallabhbhai patel quotes in hindi, आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।

"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।"

Sardar Vallabhbhai Patel

sardar vallabhbhai quotes in hindi, अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।

"अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।"

Sardar Vallabhbhai Patel

sardar vallabhbhai patel hindi quotes, आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

"आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।"

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सरदार पटेल कोट्स, sardar patel hindi quotes, मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

"मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।"

Sardar Vallabhbhai Patel

slogans of sardar vallabhbhai patel in hindi, जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।

"जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।"

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famous slogan of sardar vallabhbhai patel in hindi, संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

"संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।"

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sardar vallabhai patel slogan in hindi, अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।

"अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।"

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सरदार वल्लभभाई पटेल की सुविचार, sardar vallabhbhai patel ke vichar, उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।

"उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।"

Sardar Vallabhbhai Patel

सरदार वल्लभ भाई पटेल सुविचार, sardar patel ke vichar, मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।

"मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।"

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सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचार, sardar vallabhbhai patel ka vichar, सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।

"सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।"

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सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार, sardar vallabhbhai patel ke anmol vichar, सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।

"सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।"

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सरदार वल्लभभाई पटेल का सुविचार, sardar vallabhbhai patel ke rajnitik vichar, प्रजा का विश्वास, राज्य की निर्भयता की निशानी है।

"प्रजा का विश्वास, राज्य की निर्भयता की निशानी है।"

Sardar Vallabhbhai Patel

"मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए. लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा. कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा.

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अक्सर मैं, ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक उसका जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है, जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।

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अगर आपके पास शक्ति की कमी है तो विश्वास किसी काम का नहीं। क्योंकि महान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरूरी है।

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आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है, यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।

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एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है। जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए।

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कठिन समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।

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कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है। प्रेम तो प्रेम है। माता को अपना काना-कुबड़ा बच्चा भी सुंदर लगता है और वह उससे असीम प्रेम करती है।

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कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।

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किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।

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स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे, तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।

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गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

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जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।

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जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को म्यान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।

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जो मनुष्य सम्मान प्राप्त करने योग्य होता है, वह हर जगह सम्मान प्राप्त कर लेता है, पर अपने जन्म-स्थान पर उसके लिए सम्मान प्राप्त करना कठिन ही है।

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त्याग के मूल्य का तभी पता चलता है, जब अपनी कोई मूल्यवान वस्तु छोडनी पडती है। जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।

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थका हुआ इंसान दौड़ने लगे तो स्थान पर पहुँचने के बजाय जान गंवा बेठता है, ऐसे समय पर आराम करना और आगे बढ़ने की ताकत जुटाना उसका धर्म हो जाता है।

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प्राण लेने का अधिकार तो ईश्वर को है। सरकार की तोप या बंदूकें हमारा कुछ नहीं कर सकतीं। हमारी निर्भयता ही हमारा कवच है।

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बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।

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बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है। जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है। उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।

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हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है।

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यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं। अब हर भारतीय को भूल जाना चाहिए कि वह सिख हैं, जाट है या राजपूत। उसे केवल इतना याद रखना चाहिए कि अब वह केवल भारतीय हैं जिसके पास सभी अधिकार हैं, लेकिन उसके कुछ कर्तव्य भी हैं।

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विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा। दुनिया में जो जिसके योग्य है, वह उसे मिलता ही है।

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शारीरिक और मानसिक शिक्षा साथ –साथ दी जाये, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। शिक्षा इस तरह की हो जो छात्र के मन का, शरीर का, और आत्मा का विकास करे।

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सच्चे त्याग और आत्मशुद्धि के बिना स्वराज नहीं आएगा। आलसी, ऐश-आराम में लिप्त के लिए स्वराज कहाँ। आत्मबल के आधार पर खड़े रहने को ही स्वराज कहते हैं।

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सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।

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दुःख उठाने के कारण प्राय: हममें कटुता आ जाती है, द्रष्टि संकुचित हो जाती है और हम स्वार्थी तथा दूसरों की कमियों के प्रति असहिष्णु बन जाते हैं। शारीरिक दुःख से मानसिक दुःख अधिक बुरा होता है।

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